बात आरम्भ करता हूं उस शोर की तरफ जो 1992 के बाद हल्की आवाज में, 2001 से 2008 तक ऊंची और तेज आवाज में उठी थी कि भारत में सभी बम धमाके मुसलमान करते हैं, हर धमाके में लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों का हाथ है जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के मुसलमान भी जुड़े हैं फिर हर धमाके में सिमी हाथ है और फिर भारतीय मुसलमान आतंकवादी और देश द्रोही है और आगे सिमट कर हर मुसलमान आतंकवादी नहीं लेकिन हर आतंकवादी मुसलमान है। कश्मीर से बाहर निकलकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे प्रदेशों में आतंकवादी कहकर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियां शुरू हुईं और 2007 में उत्तर प्रदेश की पुलिस भी ऊपर वर्णित किये गये प्रदेशों की पुलिस के साथ तालमेल बनाकर मुसलमान नौजवानों को गिरफ्तार करने लगे। मैं ये कदापि नहीं कहता कि मुसलमान नौजवान आतंकवादी नहीं हो सकते लेकिन यह जरूर कहता हूं कि गिरफ्तार किये गये मुस्लिम नौजवानों में उन लोगों की संख्या अधिक है जो निर्दोष हैं। अगर घटनाक्रम पर विवेचनात्मक दृष्टि डालें तो स्पष्ट होता है कि घटना के पीछे कोई साजिश काम कर रही है। बात बहुत पीछे नहीं ले जाना चाहता और न ही संघ परिवार के इतिहास और उसके क्रिया-कलाप पर कुछ कहना चाहता हूं, लखनऊ कचहरी में अधिवक्ताओं के एक विशिष्ट ग्रुप द्वारा आतंकवाद के अभियुक्तों पर न्यायालय परिसर में हमला किया गया और फिर इस घटना को प्रचारित और प्रसारित किया गया। इसके कुछ ही दिनों बाद लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी की कचहरियों में बम विस्फोट किये गये जिसके फलस्वरूप वाराणसी और फैजाबाद में अधिवक्ता सहित कई लोगों की जानें गईं। सचमुच यह घटना निन्दनीय है और आवश्यक है कि इस घटना की सही विवेचना होकर दोषी व्यक्तियों को कठोरतम सजा दिलाई जाये।
मैं कह रहा था कि आतंकवाद के अभियुक्तों पर पहले हमला हुआ फिर न्यायालय परिसर में धमाके हुये और उन धमाकों के साथ एक अफवाह ने तेजी पकड़ी कि आतंकवादियों ने अपने ऊपर हुए हमले के जवाब में कचहरी परिसर में धमाके कराये, लेकिन पुलिस की विवेचना में कचहरी परिसर के बम ब्लास्ट के अभियुक्तों का किसी प्रकार का सम्बन्ध उन अभियुक्तों से नहीं दर्शाया गया है जिन पर लखनऊ कचहरी परिसर में वकीलों के ग्रुप द्वारा हमला किया गया था। जिससे स्पष्ट होता है कि कचहरी परिसर के ब्लास्ट पुलिस और कुछ संगठनों की साजिश के नतीजे है। लेकिन उन संगठनों का नाम का उल्लेख उपयुक्त स्थान पर ही करूंगा।
कचहरी परिसर में हुये ब्लास्ट के दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी का स्थान बाराबंकी रेलवे स्टेशन से बाहर और दि0 22.12.07 उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया है। इन दोनों अभियुक्तों का नाम क्रमशः मो0 तारिक काजमी और मो0 खालिद मुजाहिद पुलिस द्वारा बताया गया है और इसके लिए अपनी पीठ थपथपाते हुए पुलिस ने प्रथम सूचना रपट में लिखा है, "तभी अचानक दोनों अपना-अपना बैग उठाकर स्टेशन की मुख्य सड़क की ओर चलने लगे कि मुझ सी0ओ0, चैक द्वारा आगे बढ़कर अपना परिचय देते हुए उन्हें रूकने के लिए कहा तो सकपका कर और तेजी से चलने लगे कि हमराही कर्मचारीगणों की मदद से गिरफ्तार करना चाहा तो दोनों अपना बैग खोलने जैसी हरकत करने लगे कि ये जानते हुये कि यह आतंकवादी हैं और सूचना अनुसार इनके पास विस्फोटक सामग्री है फिर भी अपनी जान जोखिम में डालकर कर्तव्यनिष्ठा की पराकष्ठा का परिचय देते हुए अदम्य शौर्य व साहस का प्रदर्शन कर उ0नि0 विनय कुमार सिंह, उ0नि0 धनंजय मिश्रा, का0 नीरज पाण्डे, का0 ओम नरायण सिंह, का0 कमान्डो जय प्रकाश गुप्ता ने पकड़ लिया ते दोनों द्वारा लपटा-झपटी करते हुये मुजाहमद करने लगे तथा जान से मारने की धमकी देते हुए आतंकी परिणामों से भुगतने की चेतावनी देने लगे कि बामुश्किल आवश्यक बल प्रयोग कर टीम के अन्य सदस्यों की मदद से समय सुबह करीब ६.00 बजे पकड़ लिये गये तभी अन्य टीमें भी शोर-शराबा सुनकर आ गई।"
उक्त वर्णित प्रथम सूचना रपट में जिस तारिक काजमी का नाम आया है वह तारिक काज़मी नहीं तारिक कास़मी है जिसको पुलिस ने कासमी से काज़मी बना दिया। यह वही मो0 तारिक कासमी है जिनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उनके दादा अजहर अली ने दि0 14.12.07 को थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ में दर्ज करायी थी, जिसका उल्लेख उक्त थानो के रोजनामचा-आम दि0 14.12.07 के क्रम सं0-20 पर समय 10ः30 पर दर्ज है। अज़हर अली द्वारा दि0 20.12.07 को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, आजमगढ़ के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया कि उनके पोते तारिक कासमी का अता-पता पुलिस नहीं लगा रही है और दबी ज़बान से कहा जा रहा था कि उठाने वाले एस0टी0एफ0 के लोग थे, परिवाद में यह भी कहा गया कि दि0 18/19.12.07 को रात में पुलिस के लोग 3 गाड़ी में गये और उनके घर में घुसकर काफी सामान इधर-उधर फेंक दिया, घर में रखी धार्मिक किताबों तथा कुछ कीमती सामान भी उठा ले गये, मना करने पर सब लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी। 14.12.07 को ही पुलिस महानिदेशक उ0प्र0, गृह सचिव, मुख्यमंत्री , राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, पुलिस महानिरीक्षक, वाराणसी तथा पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़ को भी प्रार्थना-पत्र भेजा। नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी की तरफ से आजमगढ़ में लगातार धरना-प्रदर्शन किया जाता रहा और तारिक कासमी एस0टी0एफ0 द्वारा उठाये जाने की खबरें अखबारों में छपती रहीं, फिर भी पुलिस महानिदेशक तक को अज़हर अली द्वारा दिये गये प्रार्थना-पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और पुलिस की बेशर्मीपूर्ण धृष्टता इतनी बढ़ी कि उसने 22.12.07 को तारिक कासमी की गिरफ्तारी बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से दिखा दी।
मैं कह रहा था कि आतंकवाद के अभियुक्तों पर पहले हमला हुआ फिर न्यायालय परिसर में धमाके हुये और उन धमाकों के साथ एक अफवाह ने तेजी पकड़ी कि आतंकवादियों ने अपने ऊपर हुए हमले के जवाब में कचहरी परिसर में धमाके कराये, लेकिन पुलिस की विवेचना में कचहरी परिसर के बम ब्लास्ट के अभियुक्तों का किसी प्रकार का सम्बन्ध उन अभियुक्तों से नहीं दर्शाया गया है जिन पर लखनऊ कचहरी परिसर में वकीलों के ग्रुप द्वारा हमला किया गया था। जिससे स्पष्ट होता है कि कचहरी परिसर के ब्लास्ट पुलिस और कुछ संगठनों की साजिश के नतीजे है। लेकिन उन संगठनों का नाम का उल्लेख उपयुक्त स्थान पर ही करूंगा।
कचहरी परिसर में हुये ब्लास्ट के दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी का स्थान बाराबंकी रेलवे स्टेशन से बाहर और दि0 22.12.07 उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया है। इन दोनों अभियुक्तों का नाम क्रमशः मो0 तारिक काजमी और मो0 खालिद मुजाहिद पुलिस द्वारा बताया गया है और इसके लिए अपनी पीठ थपथपाते हुए पुलिस ने प्रथम सूचना रपट में लिखा है, "तभी अचानक दोनों अपना-अपना बैग उठाकर स्टेशन की मुख्य सड़क की ओर चलने लगे कि मुझ सी0ओ0, चैक द्वारा आगे बढ़कर अपना परिचय देते हुए उन्हें रूकने के लिए कहा तो सकपका कर और तेजी से चलने लगे कि हमराही कर्मचारीगणों की मदद से गिरफ्तार करना चाहा तो दोनों अपना बैग खोलने जैसी हरकत करने लगे कि ये जानते हुये कि यह आतंकवादी हैं और सूचना अनुसार इनके पास विस्फोटक सामग्री है फिर भी अपनी जान जोखिम में डालकर कर्तव्यनिष्ठा की पराकष्ठा का परिचय देते हुए अदम्य शौर्य व साहस का प्रदर्शन कर उ0नि0 विनय कुमार सिंह, उ0नि0 धनंजय मिश्रा, का0 नीरज पाण्डे, का0 ओम नरायण सिंह, का0 कमान्डो जय प्रकाश गुप्ता ने पकड़ लिया ते दोनों द्वारा लपटा-झपटी करते हुये मुजाहमद करने लगे तथा जान से मारने की धमकी देते हुए आतंकी परिणामों से भुगतने की चेतावनी देने लगे कि बामुश्किल आवश्यक बल प्रयोग कर टीम के अन्य सदस्यों की मदद से समय सुबह करीब ६.00 बजे पकड़ लिये गये तभी अन्य टीमें भी शोर-शराबा सुनकर आ गई।"
उक्त वर्णित प्रथम सूचना रपट में जिस तारिक काजमी का नाम आया है वह तारिक काज़मी नहीं तारिक कास़मी है जिसको पुलिस ने कासमी से काज़मी बना दिया। यह वही मो0 तारिक कासमी है जिनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उनके दादा अजहर अली ने दि0 14.12.07 को थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ में दर्ज करायी थी, जिसका उल्लेख उक्त थानो के रोजनामचा-आम दि0 14.12.07 के क्रम सं0-20 पर समय 10ः30 पर दर्ज है। अज़हर अली द्वारा दि0 20.12.07 को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, आजमगढ़ के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया कि उनके पोते तारिक कासमी का अता-पता पुलिस नहीं लगा रही है और दबी ज़बान से कहा जा रहा था कि उठाने वाले एस0टी0एफ0 के लोग थे, परिवाद में यह भी कहा गया कि दि0 18/19.12.07 को रात में पुलिस के लोग 3 गाड़ी में गये और उनके घर में घुसकर काफी सामान इधर-उधर फेंक दिया, घर में रखी धार्मिक किताबों तथा कुछ कीमती सामान भी उठा ले गये, मना करने पर सब लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी। 14.12.07 को ही पुलिस महानिदेशक उ0प्र0, गृह सचिव, मुख्यमंत्री , राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, पुलिस महानिरीक्षक, वाराणसी तथा पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़ को भी प्रार्थना-पत्र भेजा। नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी की तरफ से आजमगढ़ में लगातार धरना-प्रदर्शन किया जाता रहा और तारिक कासमी एस0टी0एफ0 द्वारा उठाये जाने की खबरें अखबारों में छपती रहीं, फिर भी पुलिस महानिदेशक तक को अज़हर अली द्वारा दिये गये प्रार्थना-पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और पुलिस की बेशर्मीपूर्ण धृष्टता इतनी बढ़ी कि उसने 22.12.07 को तारिक कासमी की गिरफ्तारी बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से दिखा दी।
इस मुकदमें का दूसरा अभियुक्त बनाया गया मो0 खालिद मुजाहिद निवासी महतवाना, मड़ियाहूं, जिला जौनपुर जो मड़ियाहूं के एक मदरसे में अध्यापन कार्य करते थे। 16.12.06 की शाम को लगभग 6ः30 बजे जब वो मड़ियाहूं बाजार के लिए निकले और चाट की दुकान पर खड़े थे उसी समय बिना नम्बर की टाटा सूमो आयी और उसमें से उतरकर जवानों ने टाटा सूमो में ठूंस दिया। वहां खड़े लोग कुछ भी समझ नहीं पाये। सूचना पाते ही मो0 खालिद के चचेरे भाई शाहिद ने थाना मड़ियाहूं जाकर घटना की लिखित सूचना दी तथा मो0 खालिद के चाचा मो0 जहीर आजम फलाही जो बाहर थे मड़ियाहूं पहुंचने पर मो0 खालिद की उठाये जाने की सूचना थाना मड़ियाहूं में दी और फिर जिलाधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक, जौनपुर, मुख्यमंत्री, गृहसचिव तथा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग सहित अनेक अधिकारियों के पास प्रार्थना-पत्र भेजकर फरियाद किया। घटना की खबर 17.12.07 को हिन्दुस्तान तथा अमर उजाला में छपीं जो नीचे उद्धृत हैं:-
हिन्दुस्तान - दि0 17.12.07 - टाटा सूमो सवार लोगों ने युवक का उठाया
स्थानीय नगर में स्थित पवन चित्र मन्दिर के सामने से रविवार की शाम टाटा सूमो सवार लोगों ने एक युवक को जबरन उठा ले गये। स्थानीय लोगों का कहना है िकवह पुलिस महकमे के लग रहे थे। मो0 खालिद पुत्र ज़हीर निवासी मोहल्ला महतवाना को सायं साढ़े सात बजे एक टाटा सूमो में सवार आधा दर्जन लोग आये और उसे जबरन टाटा सूमो में बैठाकर चल दिये। इस सम्बन्ध में उसके चचेरे भाई शाहिद ने कहा कि इलाहाबाद मदरसा कांड के बन्द मदरसों की जांच के नाम पर अक्सर स्थानीय खुफिया एजेंसी खालिद के ऊपर नजर रखे हुए थे। इसके प्रति पूरी जानकारी, पूछताछ कर इकट्ठा कर की रही थी। शाहिद के अनुसार भाई खालिद मिर्दहा मोहल्ले में स्थित एक मदरसे में अध्यापन कार्य करता था, जिसका संचालन उसके परिवार के लोग करते थे। प्रतिदिन देर शाम होने के बाद ही वह वापस घर आता था। आज उसे पवन टाकीज़ के सामने से कुछ लोग बिना नंबर की टाटा सूमो से उठा ले गये। शाहिद ने कहा कि घटना की सूचना जहीर को दूरभाष पर दे दी है तथा स्थानीय थाना को भी लिखित सूचना देने जा रहा हूं।
अमर उजाला - दि0 17.12.07-एस0टी0एफ0 ने चाट खा रहे युवक को उठाया
स्पेशल टास्क फोर्स (एस0टी0एफ0) ने रविवार की शाम नगर से एक युवक को उठा लिया। उसे किसी मामले में पूछताछ के लिए किसी अज्ञात स्थान पर ले गई है। तीन दिनों से एसटीएफ का दस्ता उसकी तलाश में नगर में भ्रमण करता रहा।
नगर के महतवाना मोहल्ले का वर्ग विशेष का एक युवक रविवार की शाम करीब ६:५ बजे पवन टाकीज़ के पास एक दुकान पर चाट खा रहा था। तभी क्वालिस और टाटा सूमा पर सवार होकर पहुंचे एसटीएफ के दस्ते ने उसे कवर कर लिया और वाहन में बैठाकर लेकर चला गया। उसे किस मामले में उठाया गया इसे लेकर उटकलों का दौर चल रहा है। नगर में तीन दिनों से एसटीएफ का दस्ता भ्रमण करता दिख रहा था।
अमर उजाला - दि0 18.12.07-एस0टी0एफ0 की हिरासत में हूजी के दो आतंकी
हिन्दुस्तान - दि0 17.12.07 - टाटा सूमो सवार लोगों ने युवक का उठाया
स्थानीय नगर में स्थित पवन चित्र मन्दिर के सामने से रविवार की शाम टाटा सूमो सवार लोगों ने एक युवक को जबरन उठा ले गये। स्थानीय लोगों का कहना है िकवह पुलिस महकमे के लग रहे थे। मो0 खालिद पुत्र ज़हीर निवासी मोहल्ला महतवाना को सायं साढ़े सात बजे एक टाटा सूमो में सवार आधा दर्जन लोग आये और उसे जबरन टाटा सूमो में बैठाकर चल दिये। इस सम्बन्ध में उसके चचेरे भाई शाहिद ने कहा कि इलाहाबाद मदरसा कांड के बन्द मदरसों की जांच के नाम पर अक्सर स्थानीय खुफिया एजेंसी खालिद के ऊपर नजर रखे हुए थे। इसके प्रति पूरी जानकारी, पूछताछ कर इकट्ठा कर की रही थी। शाहिद के अनुसार भाई खालिद मिर्दहा मोहल्ले में स्थित एक मदरसे में अध्यापन कार्य करता था, जिसका संचालन उसके परिवार के लोग करते थे। प्रतिदिन देर शाम होने के बाद ही वह वापस घर आता था। आज उसे पवन टाकीज़ के सामने से कुछ लोग बिना नंबर की टाटा सूमो से उठा ले गये। शाहिद ने कहा कि घटना की सूचना जहीर को दूरभाष पर दे दी है तथा स्थानीय थाना को भी लिखित सूचना देने जा रहा हूं।
अमर उजाला - दि0 17.12.07-एस0टी0एफ0 ने चाट खा रहे युवक को उठाया
स्पेशल टास्क फोर्स (एस0टी0एफ0) ने रविवार की शाम नगर से एक युवक को उठा लिया। उसे किसी मामले में पूछताछ के लिए किसी अज्ञात स्थान पर ले गई है। तीन दिनों से एसटीएफ का दस्ता उसकी तलाश में नगर में भ्रमण करता रहा।
नगर के महतवाना मोहल्ले का वर्ग विशेष का एक युवक रविवार की शाम करीब ६:५ बजे पवन टाकीज़ के पास एक दुकान पर चाट खा रहा था। तभी क्वालिस और टाटा सूमा पर सवार होकर पहुंचे एसटीएफ के दस्ते ने उसे कवर कर लिया और वाहन में बैठाकर लेकर चला गया। उसे किस मामले में उठाया गया इसे लेकर उटकलों का दौर चल रहा है। नगर में तीन दिनों से एसटीएफ का दस्ता भ्रमण करता दिख रहा था।
अमर उजाला - दि0 18.12.07-एस0टी0एफ0 की हिरासत में हूजी के दो आतंकी
कचहरी में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में एसटीएफ ने पूर्वांचल के जौनपुर, इलाहाबाद और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छापा मारकर दो लोगों को हिरासत में लिया। शक है कि पकड़े गये लोग हूजी से जुड़े इस मामले में विभिन्न एजेन्सियों के जुड़े अधिकारी पकड़े गए लोगों से पूछताछ कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कचहरी में बीते 23 नवम्बर की दोपहर आतंकयों ने सीरियल बम ब्लास्ट कर दिया। तेज धमाके के दौरान तीन अधिकवक्ताओं समेत नौ लोगों की जानें गईं। साथ ही दर्जनों लोग लहूलुहान हो गए। स्थानीय पुलिस की जांच से पता चला कि आतंकियों ने साइकिल पर बम रखकर घटना को अंजाम दिया था। दोनों साइकिलें पुरानापुर व पाण्डेयपुर से खरीदी गईं थी। आई0जी0 जोन कश्मीर सिंह ने दुकानदारों से पूछताछ के आधार पर संदिग्ध आतंकियों की स्केच जारी किया और उनका पता बताने वाले को 10 हजार इनाम देने की घोषणा की।
पुलिस की काफी तलाशी के बावजूद किसी व्यक्ति न आतंकियों के बारे में ठोस जानकारी नहीं दी। इस मामले में बम डिस्पोजल टीम की जांच से पता चला कि घटना में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। इसकी पुष्टि आगरा प्रयोगशाला की रिपोर्ट ने की। आतंकियों का पता लगाने के लिए जिले की पुलिस टीमें राजस्थान और बिहार गईं लेकिन उनका सुराग नहीं मिल सका। इधर एस0टी0एफ0 की टीम ने पश्चिम उत्तर प्रदेश व इलाहाबाद में छापा मारकर हूजी के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया। दोनों की निशानदेही पर कोरियर कर्मी को परठकोठी से हिरासत में लिया गया है। इसी प्रकार जौनपुर जिले के मड़ियाहूं स्थित मदरसा में पढ़ाने वाले एक अध्यापक को भी हिरासर में लिया गया है। पुलिस अधिकारियों व विभिन्न एजेंसियों की टीमें पकड़े गए लोगों से पूछताछ कर रही है। पूछताछ में शामिल लोगों ने संकेत दिया है घटना हूजी ने अंजाम दिया है। इसका खुलासा दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद शीघ्र कर दिया जायेगा।
अमर उजाला - दि0 20.12.07 - एस0टी0एफ0 ने युवक को उठाया, छोड़ा
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीती रात नगर के महतवाना मोहल्ले में एक घर पर दबिश दी। इसी घर के एक युवक को एसटीएफ ने बीते रविवार को उठा लिया था। आरोप है कि एसटीएफ के जवानों ने पूरे घर को खंगाला और धार्मिक पुस्तकें भी कब्जे में ले लीं। युवक को थाना कोतवाली ले जाकर तीन घंटे ते पूछताछ की। सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद धमकी देकर छोड़ा ।
नगर के महतवाना मोहल्ला निवासी मोहम्मद खालिद नामक युवक को बीते रविवार की शाम सदरगंज मेन रोड से क्वालिस और टाटा सूमो सवार लोगों ने उठा लिया था। उसे अज्ञात स्थान पर रखा गया है। खालिद के चाचा मोहम्मद जहीर आलम ने उच्चाधिकारियों को भेजे गये प्रार्थना-पत्र में लिखा है कि मंगलवार की रात करीब १२:० बजे तीन वाहनों पर सवार होकर 15 लोग उसके घर पहुंचे। गेट पीटने के साथ ही आवाज लगाने लगे। जहीर के अनुसार वह कमरा खोलकर बाहर आया तो उन लोगों न बताया कि वह मड़ियाहूं कोतवाली से आए हैं और खालिद के बारे मंे बातचीत करना चाहते है। वह लोग घर के सभी कमरों में गए। खास तौर पर खालिद का कमरा पूछा, धार्मिक और उर्दू की कुछ अन्य किताबें भी उठा ले गए।
अमर उजाला - 22.12.07 - आतंकियों के संपर्क में था मौलाना खालिद
कस्बे के महतवाना मोहल्ले का मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। पुलिस सूत्रों की मानें तो आई बी पिछले छः महीने से लगी हुई थी। आईबी की रिपोर्ट पर ही एसटीएफ ने पीछा किया। 16 दिसम्बर को मौलाना खालिद की कस्बे की चाट दुकान से एसटीएफ ने ही उठाया था। पुलिस की माने तो मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस तो फिलहाल कुछ इसी ओर संकेत दे रहे है। मौलाना खालिद को उठाने से पहले पुलिस को पता था कि महतवाना मोहल्ले में एक कश्मीरी नागरिक आया था। यह बात मौलाना खालिद के चाचा जहीर आलम फलाही भी स्वीकार करते है। हालांकि जब पाकिस्तानी नागरिक आया था तो वे घर में नहीं थे। अब जहीर आलम फलाही कह रहे हैं कि सामाजिक लिहाज से ही उन्होंने कश्मीरी नागरिक को घर में रखने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्हें नहीं पता कि कश्मीरी नागरिक कौन था। इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस के जरिए रिकार्ड की गई बातचीत के आधार पर ही एसटीएफ ने मौलाना खालिद को उठाया था। यह भी पता चला है कि मौलाना खालिद हिरासत में लिए जाने से पहले मुंबई गया था। मुंबई से जिस दिन लौटा उसी दिन क्वालिस सवारों ने उठा लिया। फिर भी मौलाना खालिद को हिरासत में लिए जाने की अधिकृत पुष्टि किसी ने नहीं की है। मड़ियाहूं कस्बे के महतवाना मोहल्ला निवासी मौलाना खालिद पिछले पांच वर्षों से घर के बगल में ही लड़कियों का मदरसा चला रहा है। इस मदरसे में प्राइमरी से लेकर आलमियत तक की शिक्ष दी जाती है। मदरसे में करीब दो सौ लड़कियां पढ़ती है। दस शिक्षक भी हैं। मौलाना खालिद इस मदरसे का हेड है। लड़कियों के लिए खालिद खालिद की छत पर हास्टल भी बना हुआ है। अधिसंख्य लड़कियां दूसरे जिलों की हैं। मौलाना खालिद अमरोहा में हाफिज व आलिम की डिग्री ले चुका है। उसके चाचा यह नहीं बता पाते कि खालिद अमरोहा के किस मदरसे का छात्र था। इलाके के लोगों का कहना है कि मौलाना खालिद के पिता स्व. जीमल आलम भी मजहबी शिक्ष के लिए चर्चित थे। मजहब के काम से वे अक्सर बाहर जाया करते थे। पिता के साथ खालिद भी जाता था। यह बात उसके चाचा व जमात-ए-इस्लामी के इलाहाबाद मंडल अध्यक्ष जहीर आलम फलाही भी मानते हैं। जहीर की माने तो पिछले पांच-छः महीनों से निगरानी ही रही थी। रिश्ता तय करने के नाम पर कुछ लोग खालिद के बारे में तहकीकात करने आए थे। धीरे-धीरे इन्हीं लोगों ने खालिद से सिमी के तालुकात के बारे में पूछताछ की थी। अज्ञात लोगों के पूछताछ के बारे में उन्होंने मड़ियाहूं कोतवाली के साथ बड़े अफसरों का भी अवगत कराया था। उसके बाद से तहकीकात बंद हो गई थी। यह नहीं बताया गया कि तहकीकात करने वाले लोग कौन थे। वे भी कभी सामने नहीं आए। पुलिस सूत्रों की मानें तो आईबी के लोग काफी दिनों से मौलाना की निगरानी कर रहे थे। आईबी की रिपोर्ट तो यह भी है कि खालिद तीन बार पाकिस्तान जा चुका है। उसे पहाड़ी इलाकों में पैदल चलने में महारथ हासिल है। पुलिस सूत्रों की मानें तो मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। यह जांच का विषय है।
हिन्दुस्तान - 22.12.07 - दो महीने पहले ही हुआ था खालिद का निकाह
कचहरी ब्लास्ट के सिलसिले में पांच दिन से पुलिस के कब्जे में खालिद का निकाह महज दो माह पूर्व हुआ था। 15 दिन पहले ही दूसरी बार ससुराल आई शबनम का कहना है कि उसका शौहर खालिद बेकसूर है। शौहर पर उसे इतना भरोसा है कि उसने मायके जाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मुसीबत की इस घड़ी में ससुराल नहीं छोडूंगी। शबनम ही नहीं खालि का पूरा परिवार चिंतित है। बकरीद जैसी खुशी के मौके पर परिवार में नमाज के बाद खालिद को सकुशल वापसी के लिए दुआ मांगी। इस बीच चाचा जहीर ने आशंका जाहिर की कि पुलिस खालिद को मार सकती है। मां नाजिमा बंगम का रो-रोकर बुरा हाल है। कहती हैं कि खालिद सीधा-सादा इंसान है। पुलिस न जाने क्यों फंसाने में जुटी है।
मोहल्ले के बुजुर्ग शीतल जायसवाल और राम दुलार मौर्य खालिद के परिवार के पड़ोसी हैं। ये बताते हैं कि खालिद के दादा रज्जाक मुजाहिद इस्लाम धर्म के जानकार थे और प्रचार-प्रसार के सिलसिले में कई माह घर से बाहर रहा करते थे। रज्जाक की मृत्यु के बाद इनके दोनों पुत्र जहीर व जमीर आलम जमायत इस्लामी हिन्द के कद्दावर नेता हो गये।
जहीर आलम को तकरीर संजीदगी पूर्ण थी तो स्व0 जमीर आलम जोशीली तकरीर के लिए विख्यात थे। इन भाइयों का व्यवहार व आचरण नगर में साधारण ही था। मोहल्ले वाले मानते हैं कि अक्सर इस परिवार में जमात के चार-छः लोग आते-जाते रहते थे ।
समाचार पत्रों में लगातार 22.12.07 तक मो0 खालिद मुजाहिद को एसटीएफ द्वारा उठाये जाने की खबरें छपती रहीं, फिर भी 18.12.07 तथा 19.12.07 की बीच की रात में पुलिस क्षेत्राधिकारी चैक, लखनऊकाफी बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स लेकर मो0 खालिद के घर पहुंचे, कुछ किताबें उठायीं और थाना मड़ियाहूं में मो0 खालिद के चाचा मो0 जहीर आलम फलाही तथा मामू मो0 सिद्दीक को बलपूर्वक अपने साथ ले गये और डरा-धमकाकर सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद मड़ियाहूं न छोड़ने के लिए ताकीद किया। इतना सब हो जाने के बावजूद दि0 22.12.07 को सुबह ६.0 बजे मो0 खालिद को भी बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से मो0 तारिक के साथ गिरफ्तार किया जाना दिखाया गया है। मो0 तारिक कासमी तथा मो0 खालिद मुजाहिद ने क्रमशः 12.12.07 से 22.12.07 तक और 16.12.07 से 22.12.07 तक अपनी आप बीती लिखकर बयान किया है जो नीचे उद्धृत है -
उल्लेखनीय है कि कचहरी में बीते 23 नवम्बर की दोपहर आतंकयों ने सीरियल बम ब्लास्ट कर दिया। तेज धमाके के दौरान तीन अधिकवक्ताओं समेत नौ लोगों की जानें गईं। साथ ही दर्जनों लोग लहूलुहान हो गए। स्थानीय पुलिस की जांच से पता चला कि आतंकियों ने साइकिल पर बम रखकर घटना को अंजाम दिया था। दोनों साइकिलें पुरानापुर व पाण्डेयपुर से खरीदी गईं थी। आई0जी0 जोन कश्मीर सिंह ने दुकानदारों से पूछताछ के आधार पर संदिग्ध आतंकियों की स्केच जारी किया और उनका पता बताने वाले को 10 हजार इनाम देने की घोषणा की।
पुलिस की काफी तलाशी के बावजूद किसी व्यक्ति न आतंकियों के बारे में ठोस जानकारी नहीं दी। इस मामले में बम डिस्पोजल टीम की जांच से पता चला कि घटना में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। इसकी पुष्टि आगरा प्रयोगशाला की रिपोर्ट ने की। आतंकियों का पता लगाने के लिए जिले की पुलिस टीमें राजस्थान और बिहार गईं लेकिन उनका सुराग नहीं मिल सका। इधर एस0टी0एफ0 की टीम ने पश्चिम उत्तर प्रदेश व इलाहाबाद में छापा मारकर हूजी के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया। दोनों की निशानदेही पर कोरियर कर्मी को परठकोठी से हिरासत में लिया गया है। इसी प्रकार जौनपुर जिले के मड़ियाहूं स्थित मदरसा में पढ़ाने वाले एक अध्यापक को भी हिरासर में लिया गया है। पुलिस अधिकारियों व विभिन्न एजेंसियों की टीमें पकड़े गए लोगों से पूछताछ कर रही है। पूछताछ में शामिल लोगों ने संकेत दिया है घटना हूजी ने अंजाम दिया है। इसका खुलासा दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद शीघ्र कर दिया जायेगा।
अमर उजाला - दि0 20.12.07 - एस0टी0एफ0 ने युवक को उठाया, छोड़ा
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीती रात नगर के महतवाना मोहल्ले में एक घर पर दबिश दी। इसी घर के एक युवक को एसटीएफ ने बीते रविवार को उठा लिया था। आरोप है कि एसटीएफ के जवानों ने पूरे घर को खंगाला और धार्मिक पुस्तकें भी कब्जे में ले लीं। युवक को थाना कोतवाली ले जाकर तीन घंटे ते पूछताछ की। सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद धमकी देकर छोड़ा ।
नगर के महतवाना मोहल्ला निवासी मोहम्मद खालिद नामक युवक को बीते रविवार की शाम सदरगंज मेन रोड से क्वालिस और टाटा सूमो सवार लोगों ने उठा लिया था। उसे अज्ञात स्थान पर रखा गया है। खालिद के चाचा मोहम्मद जहीर आलम ने उच्चाधिकारियों को भेजे गये प्रार्थना-पत्र में लिखा है कि मंगलवार की रात करीब १२:० बजे तीन वाहनों पर सवार होकर 15 लोग उसके घर पहुंचे। गेट पीटने के साथ ही आवाज लगाने लगे। जहीर के अनुसार वह कमरा खोलकर बाहर आया तो उन लोगों न बताया कि वह मड़ियाहूं कोतवाली से आए हैं और खालिद के बारे मंे बातचीत करना चाहते है। वह लोग घर के सभी कमरों में गए। खास तौर पर खालिद का कमरा पूछा, धार्मिक और उर्दू की कुछ अन्य किताबें भी उठा ले गए।
अमर उजाला - 22.12.07 - आतंकियों के संपर्क में था मौलाना खालिद
कस्बे के महतवाना मोहल्ले का मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। पुलिस सूत्रों की मानें तो आई बी पिछले छः महीने से लगी हुई थी। आईबी की रिपोर्ट पर ही एसटीएफ ने पीछा किया। 16 दिसम्बर को मौलाना खालिद की कस्बे की चाट दुकान से एसटीएफ ने ही उठाया था। पुलिस की माने तो मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस तो फिलहाल कुछ इसी ओर संकेत दे रहे है। मौलाना खालिद को उठाने से पहले पुलिस को पता था कि महतवाना मोहल्ले में एक कश्मीरी नागरिक आया था। यह बात मौलाना खालिद के चाचा जहीर आलम फलाही भी स्वीकार करते है। हालांकि जब पाकिस्तानी नागरिक आया था तो वे घर में नहीं थे। अब जहीर आलम फलाही कह रहे हैं कि सामाजिक लिहाज से ही उन्होंने कश्मीरी नागरिक को घर में रखने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्हें नहीं पता कि कश्मीरी नागरिक कौन था। इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस के जरिए रिकार्ड की गई बातचीत के आधार पर ही एसटीएफ ने मौलाना खालिद को उठाया था। यह भी पता चला है कि मौलाना खालिद हिरासत में लिए जाने से पहले मुंबई गया था। मुंबई से जिस दिन लौटा उसी दिन क्वालिस सवारों ने उठा लिया। फिर भी मौलाना खालिद को हिरासत में लिए जाने की अधिकृत पुष्टि किसी ने नहीं की है। मड़ियाहूं कस्बे के महतवाना मोहल्ला निवासी मौलाना खालिद पिछले पांच वर्षों से घर के बगल में ही लड़कियों का मदरसा चला रहा है। इस मदरसे में प्राइमरी से लेकर आलमियत तक की शिक्ष दी जाती है। मदरसे में करीब दो सौ लड़कियां पढ़ती है। दस शिक्षक भी हैं। मौलाना खालिद इस मदरसे का हेड है। लड़कियों के लिए खालिद खालिद की छत पर हास्टल भी बना हुआ है। अधिसंख्य लड़कियां दूसरे जिलों की हैं। मौलाना खालिद अमरोहा में हाफिज व आलिम की डिग्री ले चुका है। उसके चाचा यह नहीं बता पाते कि खालिद अमरोहा के किस मदरसे का छात्र था। इलाके के लोगों का कहना है कि मौलाना खालिद के पिता स्व. जीमल आलम भी मजहबी शिक्ष के लिए चर्चित थे। मजहब के काम से वे अक्सर बाहर जाया करते थे। पिता के साथ खालिद भी जाता था। यह बात उसके चाचा व जमात-ए-इस्लामी के इलाहाबाद मंडल अध्यक्ष जहीर आलम फलाही भी मानते हैं। जहीर की माने तो पिछले पांच-छः महीनों से निगरानी ही रही थी। रिश्ता तय करने के नाम पर कुछ लोग खालिद के बारे में तहकीकात करने आए थे। धीरे-धीरे इन्हीं लोगों ने खालिद से सिमी के तालुकात के बारे में पूछताछ की थी। अज्ञात लोगों के पूछताछ के बारे में उन्होंने मड़ियाहूं कोतवाली के साथ बड़े अफसरों का भी अवगत कराया था। उसके बाद से तहकीकात बंद हो गई थी। यह नहीं बताया गया कि तहकीकात करने वाले लोग कौन थे। वे भी कभी सामने नहीं आए। पुलिस सूत्रों की मानें तो आईबी के लोग काफी दिनों से मौलाना की निगरानी कर रहे थे। आईबी की रिपोर्ट तो यह भी है कि खालिद तीन बार पाकिस्तान जा चुका है। उसे पहाड़ी इलाकों में पैदल चलने में महारथ हासिल है। पुलिस सूत्रों की मानें तो मौलाना खालिद आतंकियों के संपर्क में था। यह जांच का विषय है।
हिन्दुस्तान - 22.12.07 - दो महीने पहले ही हुआ था खालिद का निकाह
कचहरी ब्लास्ट के सिलसिले में पांच दिन से पुलिस के कब्जे में खालिद का निकाह महज दो माह पूर्व हुआ था। 15 दिन पहले ही दूसरी बार ससुराल आई शबनम का कहना है कि उसका शौहर खालिद बेकसूर है। शौहर पर उसे इतना भरोसा है कि उसने मायके जाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मुसीबत की इस घड़ी में ससुराल नहीं छोडूंगी। शबनम ही नहीं खालि का पूरा परिवार चिंतित है। बकरीद जैसी खुशी के मौके पर परिवार में नमाज के बाद खालिद को सकुशल वापसी के लिए दुआ मांगी। इस बीच चाचा जहीर ने आशंका जाहिर की कि पुलिस खालिद को मार सकती है। मां नाजिमा बंगम का रो-रोकर बुरा हाल है। कहती हैं कि खालिद सीधा-सादा इंसान है। पुलिस न जाने क्यों फंसाने में जुटी है।
मोहल्ले के बुजुर्ग शीतल जायसवाल और राम दुलार मौर्य खालिद के परिवार के पड़ोसी हैं। ये बताते हैं कि खालिद के दादा रज्जाक मुजाहिद इस्लाम धर्म के जानकार थे और प्रचार-प्रसार के सिलसिले में कई माह घर से बाहर रहा करते थे। रज्जाक की मृत्यु के बाद इनके दोनों पुत्र जहीर व जमीर आलम जमायत इस्लामी हिन्द के कद्दावर नेता हो गये।
जहीर आलम को तकरीर संजीदगी पूर्ण थी तो स्व0 जमीर आलम जोशीली तकरीर के लिए विख्यात थे। इन भाइयों का व्यवहार व आचरण नगर में साधारण ही था। मोहल्ले वाले मानते हैं कि अक्सर इस परिवार में जमात के चार-छः लोग आते-जाते रहते थे ।
समाचार पत्रों में लगातार 22.12.07 तक मो0 खालिद मुजाहिद को एसटीएफ द्वारा उठाये जाने की खबरें छपती रहीं, फिर भी 18.12.07 तथा 19.12.07 की बीच की रात में पुलिस क्षेत्राधिकारी चैक, लखनऊकाफी बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स लेकर मो0 खालिद के घर पहुंचे, कुछ किताबें उठायीं और थाना मड़ियाहूं में मो0 खालिद के चाचा मो0 जहीर आलम फलाही तथा मामू मो0 सिद्दीक को बलपूर्वक अपने साथ ले गये और डरा-धमकाकर सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद मड़ियाहूं न छोड़ने के लिए ताकीद किया। इतना सब हो जाने के बावजूद दि0 22.12.07 को सुबह ६.0 बजे मो0 खालिद को भी बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से मो0 तारिक के साथ गिरफ्तार किया जाना दिखाया गया है। मो0 तारिक कासमी तथा मो0 खालिद मुजाहिद ने क्रमशः 12.12.07 से 22.12.07 तक और 16.12.07 से 22.12.07 तक अपनी आप बीती लिखकर बयान किया है जो नीचे उद्धृत है -
‘‘मैं मो0 खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद, मोहल्ला महतवाना, मड़ियाहूं, जिला जौनपुर का रहने वाला हूं, 16.12.07 की शाम एस0टी0एफ0 मड़ियाहूं बाजार से दुकान पर से लोगों की मौजूदगी में उठाया और नामालूम जगह पर लेजाकर जबरदस्त तशद्दुद किया। मुखतलिफ तरीकों से मारा पीटा गया। दाढ़ी के बाल जगह-जगह से उखाड़े गये दोनों पैरों को चीर कर इस पर खड़े होकर अजू तनासुल को मुख में डालकर चुसवाना। पाखाने के रास्ते पेट्रोल डालना शर्म गाह को धागे से बांधकर दूसरे किनारे पर पत्तर बांध कर खड़ा कर देना और शर्मगाह पर सिगरेट छिड़कना। शराब पिलाना व सुअर के गोश्त का कबाब खिलाना, पेशाब पिलाना, बरफ लगाना, नाक और मुख से जबरदस्ती पानी पिलाना जिससे दम घुटने लगे। बिल्कुल सोने न देना वगैरह। एलेक्ट्रिल शोला मारते हुए आला के जरिये जिस्म को जलाना, करेन्ट चार्ज देना बिल्कुल नंग करके मुसलसल, वगैरह। इन्सानियत सोज हरकतें की गयी, बार-बार यह कहते थे कि जैसा हम कहते हैं वैसा नहीं कहोगे तो इससे भी बुरा हश्र करेंगे। आंख पर पट्टी बाुधकर कुद चीजें पकड़वायी गयी मुझे नहीं मालूम वह क्या था। जान से मारने की धमकी देकर बनाया हुआ एक बयान कैमरे के सामने कहने पर मजबूर किया गया और इस को अलग से टेप भी किया गया। (मुझे कचहरी सीरीयल ब्लास्ट में मुल्जिम बताया गया जबकि ऐसा नहीं है) 22.12.07 को बाराबंकी से धमाका खेज माद्दा के साथ शो किया गया (जबकि मुझे उठाया गया था मेरे पास कुछ भी नहीं था) और एक जगह ले जाकर बैग पर उंगलियांे के निशान लिये गये उस के बाद दो सादे कागज पर हाथ पैर की उंगलियों के निशान लिये गये उसके बाद एक लिखे हुए कपड़े पर जिसमें कोई चीज पैक थी, फिर बाराबंकी जेल भेज दिया गया वहां भी मारा-पीटा गया।
24.12.07 दस दिन की रिमान्ड पर लेकर एस0टी0एफ0 कार्यालय में रखा गया। दौराने रिमान्ड गैर इन्सानी सुलूक किया गया और शदीद जहनी व जिसमानी अन्दुरूनी चोट पहुचायी गयी जिसका बजाहिर किसी मेडिकल रिपोर्ट में आना मुहाल है दौराने रिमान्ड मेडिकल भी एस0टी0एफ0 कार्यालय में होता था डाक्टर को कोई भी बात बताने पर पाबन्दी थी। 17.1.08 को एस0टी0एफ0 कार्यालय में फैजाबाद के सी0ओ ने एस0टी0एफ0 के साथ मिलकर एक बैट्री पर एक प्लास्टिक के टुकड़े पर और एक किताब पर उंगलियों के निशान लिये। सादे कागज पर अंगूठे के निशान और दस्तखत लिये और हिन्दी में लिखे हुए कागज पर इस्तखत लिये और कहा कि सबूत ऐसे बनाएंगें कि फांसी तक पहुंचा देंगे। इसके अलावा बहुत सी नाजेबा बातें कही गयीं जिनका जुबान पर लाना बाइसे शर्म है। मै। मुहब्बे वतन शहरी हूं मेरा दहशतगर्दी या किसी दहशतगर्द तन्जीम से कोई ताल्लुक नहीं है। मुझे जबरदस्ती फंसाया जा रहा है, मैं बेकसूर हूं, मेरे ऊपर जो जुल्म हुआ उसको मुख्तसर में बयान कर दिया उम्मीद है कि आप हजरात इन्साफ दिलाने के लिए जद्दो-जहद करेंगें।
तमाम अखबारात व रसायल इसमें अहम किरदार अदा करें।
ऽ सीरीयल ब्लास्ट की तहकीक किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से करायी जाये।
ऽ रिटायर्ड जजों की एक कमेटी बने जो दहशतगर्दी के इल्जाम में बन्द मुल्जिमों पर लगे इल्जामात की तहकीक करें और इन्साफ दें, ताकि जल्दी हो सके।
ऽ उन लोगों पर कार्यवाहियां हों जो लोगों को फजी गिरफ्तार करके जबरदस्ती कहलवाकर दहशतगर्द साबित करते है। और फर्जी सबूत और गवाह बनाकर कानून से खिलवाड़ करते हैं।
ऽ वकला हज़रात हमारा केस नहीं ले रहे है। उनसे गुजारिश है कि वह ऐसा न करें, आपका काम इन्साफ दिलाना है। किसी के जबरदस्ती कहलवा लेने और फर्जी सबूत बना लेने से कोई मुजरिम नहीं हो जाता। आप खुद तहकीक करें या करवायें मुझे इन्साफ की उम्मीद है।
मो0 खालिद मुजाहिद
हाई सिक्योरटी बैरक नं0 3
जिला जेल, लखनऊ
24.12.07 दस दिन की रिमान्ड पर लेकर एस0टी0एफ0 कार्यालय में रखा गया। दौराने रिमान्ड गैर इन्सानी सुलूक किया गया और शदीद जहनी व जिसमानी अन्दुरूनी चोट पहुचायी गयी जिसका बजाहिर किसी मेडिकल रिपोर्ट में आना मुहाल है दौराने रिमान्ड मेडिकल भी एस0टी0एफ0 कार्यालय में होता था डाक्टर को कोई भी बात बताने पर पाबन्दी थी। 17.1.08 को एस0टी0एफ0 कार्यालय में फैजाबाद के सी0ओ ने एस0टी0एफ0 के साथ मिलकर एक बैट्री पर एक प्लास्टिक के टुकड़े पर और एक किताब पर उंगलियों के निशान लिये। सादे कागज पर अंगूठे के निशान और दस्तखत लिये और हिन्दी में लिखे हुए कागज पर इस्तखत लिये और कहा कि सबूत ऐसे बनाएंगें कि फांसी तक पहुंचा देंगे। इसके अलावा बहुत सी नाजेबा बातें कही गयीं जिनका जुबान पर लाना बाइसे शर्म है। मै। मुहब्बे वतन शहरी हूं मेरा दहशतगर्दी या किसी दहशतगर्द तन्जीम से कोई ताल्लुक नहीं है। मुझे जबरदस्ती फंसाया जा रहा है, मैं बेकसूर हूं, मेरे ऊपर जो जुल्म हुआ उसको मुख्तसर में बयान कर दिया उम्मीद है कि आप हजरात इन्साफ दिलाने के लिए जद्दो-जहद करेंगें।
तमाम अखबारात व रसायल इसमें अहम किरदार अदा करें।
ऽ सीरीयल ब्लास्ट की तहकीक किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से करायी जाये।
ऽ रिटायर्ड जजों की एक कमेटी बने जो दहशतगर्दी के इल्जाम में बन्द मुल्जिमों पर लगे इल्जामात की तहकीक करें और इन्साफ दें, ताकि जल्दी हो सके।
ऽ उन लोगों पर कार्यवाहियां हों जो लोगों को फजी गिरफ्तार करके जबरदस्ती कहलवाकर दहशतगर्द साबित करते है। और फर्जी सबूत और गवाह बनाकर कानून से खिलवाड़ करते हैं।
ऽ वकला हज़रात हमारा केस नहीं ले रहे है। उनसे गुजारिश है कि वह ऐसा न करें, आपका काम इन्साफ दिलाना है। किसी के जबरदस्ती कहलवा लेने और फर्जी सबूत बना लेने से कोई मुजरिम नहीं हो जाता। आप खुद तहकीक करें या करवायें मुझे इन्साफ की उम्मीद है।
मो0 खालिद मुजाहिद
हाई सिक्योरटी बैरक नं0 3
जिला जेल, लखनऊ
12 दिसम्बर, 2007 को हमारी दुकन से निकलने के बाद कौमी शाहरा हमीर रोड रास्ते से तकरीबन एक बजे एस0टी0एफ0, के जरिए (टाटा सूमो सफेद रंग) उठाया गया उस वक्त मैं हान्डा स्पलेन्डर यू0पी050/2943 से शहरामीर शरवा इज्तिमा की तैयारी और अपनी दुकान की कुछ दवाआंे की खरीददारी के लिए जा रहा था मेरे पास 11,000/- (ग्यारह हजार) रूपये अन्दर वाली जेब में और सामने वाली जेब में भ्ी तकरीबन 500/- रूपया, ड्राइविंग लाइसेन्स, पिंक कार्ड और दीगर कागजात थे, जिसमें जहरेज ट्रेवल्स का एक बिल भी था मुझको इस तरह अचानक गाड़ी में बिठाया कि मैं समझ न सका मैंने फित्री एहतियाज किया कि शायद इग्वा करने वालों का गिरोह है मैंने बहुत पूछा पर कोई जवाब नहीं मिला फरिहा बाजार तक मैं सराय एहतियाज बन गया मेरा हाथ बांध दिया गया और जेब से रकम और कागज निकाल कर खाली कर दिया गया और फरिहा चैक से गाड़ी मोहम्मदपुर मोउ़ पर मोड़ने पर मैंने कहा- ’’कहां ले जा रहे हो? कौन लोग हो?’’ तो टीम के लाडर बी0के0 सिंह ने गाली देकर कहा-‘‘इन्काउण्टर करने’’ मैंने कहा - ‘‘क्यों’’ तो उन्होंने डांटकर मना कर दिया और आंखों पर पट्टी बांधने का हुक्म जारी किया। मेरी आंखों पर पट्टी बांधी जा रही थी कि गाड़ी मोहम्मदपुर से बनारस वाले रोड पर घूम चुकी थी उसके बाद मुझको जदाकोब (मारना-पीटना) किया जाने लगा, हाथ बंधे होने की वजह से फितरी एहजिजाज भी नहीं कर पा रहा था, तो मैंने कल्मिा और दुआएं पढ़ना शुरू कर दिया इस पर भी मारते थे, यह सब मत पढ़ो, गालियां देते मारते हुए चले जा रहे थे कि किसी का फोन बजा और बात होने लगी तो समझ में आया कि बी0के0सिंह ही की आवाज है। चूंकि मैं बीच वाली सीट पर था और बी0के0 सिंह सामने वाली पर बस इतना समझ में आया कि ये कह रहा है, अच्छा सर इन्काउन्टर छोड़ दें आपके पास लाये। फिर उसने अपने साथियों को कहा कि बनारस पहुंचकर फौरन लखनऊ निकलना है, साहब ने लखनऊ बुलाया है। मुझको इस तरह फिर लखनऊ लाया गया पहली मुलाकात में जिसने पूछताछ शुरू की, उसने कहा ‘‘तुम आतंकवादी हो’’ मैंने कहा ‘‘सर, मैं सोच भी नहीं सकता और मैं तो मेडिकल प्रक्टिशनर हूं, समाज सेवा मेरा काम है।’’ वतन की मोहब्बत मेरा फरीज़ा तो उसने गाली देकर खामोश रहने को कहा ये सिलसिला चलता रहा वो बरसते रहे और मैं मुस्तकिल कहता रहा, सर मैं ऐसा नहीं हूं-चार रोज लगातार रातो दिन ये सिलसिला चलता रहा हर वक्त दस लोग या बारह लोग मुस्ल्लन रहते खाना और गजाए हाजत (पखाना-पेशाब) रोज बा के अलावा किसी चीज़ की इजाजत नहीं रहती, चार रोज बाद मैं नीममर्ग (अधमरा) हालत में था कि अचानक सारे लोग चले गये सिर्फ एक रह गया उसने कहा तारिक हमको मालूम है कि तुम मारे जाओगे अगर बचना है तो जो-जो तुमसे कहा जाय उसको कहो वरना आई0जी0 साहब कह रहे हैं उसको और अज़ियत (तकलीफ) दो और उसके बीबी बच्चों को भी उठा लो। आखिर तुम्हारे साथ बच्चे भी परेशान होंगे गर्जे की दो घण्टा मुझको कहता रहा कि तुम तैयार हो जाओ तो अभी दवा खिलाकर सुला दिया जायेगा। न सोने की वजह से मैं दिमागी होशो-हवास का अक्सर बके चुका था। मैंने कहा मुझको क्या कहना होगा उसने खुश होकर कहा तुम परेशान न हो कोई बड़ी बात नहीं है मेरी नींद आर दिली तकलीफ को बार-बार वो कहता कि अभी दवा और नींद देंगे फिर उसने सिपाहियों से कहा कि-उसको सुला दो मुझे दवा और खाना दिया गया। दूसरे रोज सुबह आई0जी0 और उनके साथ दस-बारह लोगों ने आकर मुझसे कहा कि ये लोग जो कहें उसको कहना मसलन ये कि 23 नवम्बर वाले सीरियल बम धमाकों में शामिल थे वगैरह उसके बाद सी0ओ0 आनन्द मिश्रा, दरोगा शुक्ला और जय प्रकाश नामी एस0पी0 से यह कहकर चला गया कि उसको किसी तरह मजीद तैयार कर लो अब साहब के पास पेश करना है, ये लोग मुझको पूरी कहानी रटाते थे फिर 21 दिसम्बर की रात हर बड़े-छोटे सरकारी अफसरान पूरी रात पूछताछ करते रहे और सुबह के वक्त चार पांच गाड़ियों के साथ हमको और खालिद को बाराबंकी स्टेशन ले गये फिर थाना ले गये इसके बाद किसी सरकारी गेस्ट हाउस में ले गये जहां पर पूरे दिन भर लिखा पढ़ी होती रही वहां पर हमारे हाथ और पैर पूरे-पूरे का निशान भी लिया गया उसके बाद बाराबंकी जेल भेज दिया गया फिर चैबीस को लखनऊ जेल लाये और मजिस्टेªट के सामने पेश करवाये और रिमाण्ड पर भी लिया। रिमाण्ड की मुद्दत दस रोज तकएस0टी0एफ0 आफिस में ही रहे पर अफसर सूबों के एजेन्सी वाले पूछताछ करने आये, फिर 2 जनवरी 2008 को लखनऊ जेल भेज दिया गया फिर नौ तारीख को रिमाण्ड पर ले गये और एस0टी0एफ0 आफिस ही में रखा गया जबकि रिमाण्ड राजेश पाण्डे के जरिए हुई थी जो सी0ओ0 फैजाबाद हैं। अजीयत रिसानी के साथ-साथ् पूछताछ करते रहे और अपनी बात मनवाने की जिद करते रहे और बयान दिलवाकर सी0डी0 वगैरह भी बनवायी गई। फिर 17 जनवरी 2008 रात में राजेश पाण्डे सी0ओ0 फैजाबाद और ओ0पी0 पाण्डेय ने पूरी रात पूछ ताछ करते हुए कुछ ऐसे काम करवाये जिससे हमको शक के हमारे फिंगर प्रिंट लिए गये हैं (जैसे-पतलनी वाली छोटी लाल रंग की बैट्री जिस पर शक्ति लिखा हुआ था उस पर कुछ ऐसा केमिकल लगा हुआ था जो हाथों पर चिपक रहा था)। बैट्री हमसे हाथ में लेने का कहा गया हम जब हाथ से लिए वो चिपक गयी फिर वापस ले लिए उसके बाद डाबर केवड़ा की 150 एम0एल0 की गोल बोतल जिसमें कोई चीज अन्दर थी उसको हाथ में दिया गया बल्कि जबरदस्ती पकड़ने को कहा गया, हमने मजबूरन पकड़ा, इसी तरह किताब पकड़वायी गई फिर आंखों पर पट्टी बांध दी गई मालूम नहीं कहां ले गये और वहां पर कई चीजों को पकड़वाये। आंखों पर पट्टी थी उसके बावजूद ये अन्दाजा लगा कि उसमें से कोई एक बैग वगैरह भी है जिसको पकड़वाया जा रहा है। इसके बाद सुबह (शहर) के वक्त 18 तारीख को हमारे बाल सर से खड़े उखाड़े गए और कागज में रखकर नाम लिखा गया फिर उसी रोज हमारी रिमाण्ड पूरी हो गई, धमकाते डराते हुए जेल वापस कर दिया गया।
पिछले साल भी 2007 में मई-जून में गोरखपुर, उससे पहले बनारस वगैरह, फिर दिल्ली ले जाने की बात भी कह रहे थे।
मो0 तारिक कासमी
पिछले साल भी 2007 में मई-जून में गोरखपुर, उससे पहले बनारस वगैरह, फिर दिल्ली ले जाने की बात भी कह रहे थे।
मो0 तारिक कासमी
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