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सवाल बुद्धिमत्ता का!

अपर पुलिस अधीक्षक स्पेशल टास्क फोर्स उ0प्र0 श्री अशोक कुमार राघव ने दि0 10.2.2008 को थाना सिविल लाइन, रामपुर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया, जिसके आधार पर मु0अ0सं0-209/08 अन्तर्गत धारा 25 आयुध अधिनियम तथा मु0अ0सं0-210/08 अन्तर्गत धारा 420/467/468/471/121ए भा0द0सं0 समय 3:30 पर पंजीकृत हुआ। यह दोनों मुकदमें फहीम उर्फ अरशद उर्फ हसन अम्मान के खिलाफ दर्ज किये गये। मुखबिर की सूचना पर एस0टी0एफ0 की टीम का करीब 22:30 बजे जंग बहादुर से पूछताछ किया और उससे प्राप्त सूचना के आधार पर सभी टीमें जंग बहादुर को लेकर बस स्टेशन रामपुर पहुंची और गाड़ियों को छोड़कर छिप गई। बस स्टैण्ड पर मौजूद जनता के व्यक्तियों से नकसद बताकर गवाही को कहा तो सभी लोग दुश्मनी होने के डर से अपना नाम बताये बिना चले गये। सब पुलिस कर्मियों ने आपस में एक-दूसरे की जामा तलाशी ले-देकर इतमिनान किया कि किसी के पास कोई नाजायज़ वस्तु नहीं थी कि तभी जंग बहादुर ने मुख्य मार्ग से बिलासपुर को जाने वाले रास्ते के मोड़ पर बायीं पटरी पर लगी पान व चाय की दुकान के पास खड़े दो व्यक्तियों की तरफ इशारा करके बताया कि मैरून कलर का बैग लिए हुए व्यक्ति शरीफ उर्फ सुहैल था और दूसरा उसका साथी था। इस पर अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा हमराही फोर्स की मदद से एकदम घेर कर आवश्यक बल प्रयोग करके दि0 9.2.2008 व 10.2.2008 रात्रि समय 00:10 बजे पकड़ लिया। नाम-पता पूछा जिस पर एक ने अपना नाम शरीफ तथा उर्फ में कई एक नाम और दूसरे ने अपना नाम फहीम उर्फ अरशद उर्फ हसन अम्मान उर्फ साकिब उर्फ अबू जर्रार उर्फ साहिल पास्कर उर्फ समीर शेख पुत्र मो0 युसुफ अंसारी निवासी 4 नं0 303 रूम नं0 2409, मोतीलाल नगर नं0 2 एम0जी0 रोड, गोरेगांव (वेस्ट), मुम्बई बताया। जामा तलाशी में उसके दाहिने सुड्डे में खोंसा हुआ एक अदद स्टार पिस्टल 30 बोर जिसकी स्लाइड पर ततारा आम्र्स फैक्ट्री, पेशावर सी0ए0एल0-30 माउज़र अंकित था, बट पर 651 नं0 पड़ा था, दोनों तरफ धारीदार स्टार की चाप लगी थी, पिस्टल में एक मैगजीन जिसमें 6 अदद जिन्दा कारतूस भरी थीं, जिन्हें मैगजीन से निकाला गया, अतः पहनी जीन्स की बायीं जेब से 15 कारतूस जिन्दा बरामद हुए। पैन्ट की पिछली बायीं जेब से एक अदद पासपोर्ट, एक अदद कार्ड, 470 रूपये, जीन्स की पिछली दाहिनी जेब से नई दिल्ली से मुम्बई का 12.2.2008 का रेलवे टिकट दि0 10.2.2008 को अवध एक्सप्रेस का बान्द्रा टर्मिनल से मुजफ्फरपुर जंक्शन का टिकट तथा 9 अदद लाइनदार कागज में हाथ से पेन द्वारा बने हुए नक्शे, दो अदद कागजों में कम्प्यूटर के विषय में लिखी जानकारी और एक अदद सफेद कागज जिस पर पेन्सिल से नक्शा बना था, बरामद हुआ।

प्रथम सूचना रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीफ ने अपर पुलिस अधीक्षक के पूछने पर यह भी बताया था कि वह बाबा के साथ फिदायीन का इंतजार करते रहे, बचा हुआ कारतूस मैगजीन व हैण्ड ग्रेनेड तथा ए0के0-47 बाबा लेकर चला गया था, वह और फिदायीन अलग-अलग रास्तों से अपने-अपने ठिकानों पर चले गये। उन असलहों को लेकर मुम्बई में फहीम उर्फ अरशद के बताये हुए स्थान पर फिदायीन घटना करनी थी। मुम्बई में घटना करने के लिए वह लोग उन असलहों को लेकर अलग-अलग रास्तों से मुम्बई जाने को थे। शरीफ और फहीम दिल्ली से मुम्बई जाते, सबा और अमर सिंह तथा आरिफ नौचंदी एक्सप्रेस से लखनऊ चले गये थे और उनका असलहा उनके साथ में था। फहीम से की गई पूछताछ में प्रथम सूचना रिपोर्ट में लिखा है कि वह सऊदी अरब काम करता था और वहां से पाकिस्तान टे्निंग करने गया था। बरामदशुदा नक्शों को उसने रायकी करके मुम्बई में बनाया था। उसे मुम्बई के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित जन तथा सरकारी दफ्तरों को रायकी करने व नक्शा बनाने के लिए भेजा गया था। मुम्बई में साहिल पावस्कर के नाम से एक कमरा किराये पर लेकर वहां तीन फिदायीन व उनके एक साथी को पहुंचाकर रूकना था, जिनको लेने के लिए वह रामपुर गया था। उसके पास से बरामद कागजात नक्शा आदि एक सफेद कपड़े में रखकर सील-मुहर किया जाना भी प्रथम सूचना रिपोर्ट में दर्ज है। लेकिन इस अभियुक्त को सी0आर0पी0एफ0 कैम्प, रामपुर के हमले में अभियुक्त नहीं बनाया गया।

फहीम अंसारी के दोनों मुकदमों में आरोप-पत्र प्रस्तुत हुआ, अंततः मुख्य न्यायिक मजिस्टे्ट रामपुर ने मुकदमें को सत्र सुपुर्द कर दिया और फहीम अंसारी के विरूद्ध प्रथम सत्र न्यायाधीश रामपुर ने आरोप रचित किये लेकिन साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया जा सका।

फहीम अरशद अंसारी के मुकदमें का विचारण लम्बित था और वह सेन्ट्रल जेल, बरेली में रखा गया था जहां से भारी सुरक्षा के बीच उसे रामपुर न्यायालय में लाया जाता था।

दि0 26.11.08 की रात जो मुम्बई में भयानक तबाही लेकर आई जो कभी भूलने लायक नहीं है, जगह-जगह पर आतंकवादी हमले हुए जिसमें बहुत सारे लोगों की निर्मम हत्या की गई। निर्दोष लोग मारे गये, सम्पत्ति को क्षति पहुंची और देश के जांबाज़ सपूतों हेमन्त करकरे, अशोक काम्टे और विजय सावस्कर को शहीद कर दिया। मुम्बई शहर के अनेक हिस्सों में आतंकवाद का तांडव और तांडव करने वाले केवल दस आतंकवादी बताये गये। दस में नौ मार डाले गये जिनको मुम्बई के मुसलमानों ने अपने कब्रिस्तान में दफनाने की जगह नहीं दी, उनके शवों को जे0जे0 हास्पिटल के वातानुकूलित मुर्दाघर में रखा गया, लेकिन देश यह जानता रहा कि नौ लाशें मुर्दाघर में हैं लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने गुपचुप तरीके से उन शवों को ऐसी जगहों पर दफनाया जिनका पता किसी को न लग सका, यहां तक कि दफनाये जाने की जानकारी भी महाराष्ट्र विधान परिषद् में पूछे गये सवाल के जवाब से मिली।

मैं इस सवाल को नहीं उठा रहा हूं कि हेमन्त करकरे जैसे ईमानदार और जांबाज़ देशभक्त कैसे मारे गये, उनकी जैकेट कहां गई, उनके बार-बार मदद मांगे जाने पर भी समय से मदद क्यों नहीं पहुंचायी गई, केवल दस आतंकियों ने मुम्बई के अनेक हिस्सों में कैसे तबाही मचायी, सबद हाउस में क्या हो रहा था, इसराइली नागरिक निर्वाद रूप से महाराष्ट्र तथा देश के दूसरे हिस्सों में कैसे विचरण करते रहते हैं, उनके पास से प्रतिबंधित सेटेलाइट फोन बरामद होने पर उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जाती, उनके लैपटाप और कम्प्यूटर से प्रसारित संदेशों की छानबीन क्यों नहीं की जाती, सी0आई0ए0 मोसाब, आई0एस0आई0 और एफ0बी0आई0 के रिश्तों को क्यों नहीं उजागर किया जाता, एफ0बी0आई0 बिना इज़ाज़त अनीता उदैय्या को किस तरह अमेरिका उठा ले जाती है और फिर भारत में लाकर छोड़ जाती है, कोल्ड मैन हेडली का सी0आई0ए0 और एफ0बी0आई0 से क्या रिश्ता है, उसे भारत की जांच एजेन्सी के हवाले क्यों नहीं किया जाता, महाराष्ट्र और गोवा के सबद हाउस में क्या गतिविधियां चलती हैं, यह सारे के सारे सवाल अभी नहीं तफ्शील से फिर कभी। आज तो मैं सिर्फ और सिर्फ फहीम अंसारी तक अपने को सीमित रखता हूं।

मुम्बई में हुई घटना पर मु0अ0सं0-182/08 कायम हुआ और डी0सी0बी0सी0आई0डी0, यूनिट-3 मुम्बई द्वारा उसकी विवेचना शुरू की गई। विवेचना के दौरान डी0सी0बी0सी0आई0डी0 के लोग रामपुर से फहीम अंसारी को मुम्बई के केस के संबंध में दिसम्बर, 2008 में पूछताछ करने के लिए ले गये और मुम्बई ले जाने के बाद यह साबित करने की कोशिश हुई कि फहीम अंसारी ने मुम्ब ई में रहकर नक्शा बनाया और रायकी की और इस काम के लिए उसने एक महीने के लिए मकान किराये पर लिया लेकिन वह महीना कब से कब तक का था, यह नहीं बताया गया और न ही यह बताया गया है कि कमरा किराये पर कहां लिया गया था। फिर भी पुलिस कहती है कि फहीम अंसारी ने मुम्बई में रहकर रायकी किया और नक्शे बनाये।

इसी तरह पुलिस का एक गवाह नारूद्दीन महबूब शेख सामने लाया गया जिसने बताया कि वह जनवरी, 2008 में काठमाण्डू गया था जहां उसे फहीम अंसारी मिला और अपने कमरे पर ले गया, वहां उसके कमरे पर एक और आदमी पहुंचा जिसने कुछ देर रूकने के बाद पूछा कि क्या फहीम अंसारी ने लखवी द्वारा सौंपा गया काम पूरा कर दिया है जिस पर फहीम अंसारी ने अपने बैग से कुछ कागजात निकालकर उस आदमी को दिया, जो देते वक्त नीचे गिर गया, जिसे नारूद्दीन ने देखा कि वह नक्शा था और उससे कहा कि क्या उसने नक्शा बनाने का धन्धा शुरू कर दिया था, जिसका फहीम अंसारी ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर बाद में कहा कि उसके कुछ दोस्त पाकिस्तान से मुम्बई घूमने जा रहे हैं जिनको नक्शे की जरूरत है। बाद में दूसरे दिन नारूद्दीन को फहीम अंसारी के साथ उसके होटल के कमरे में मिलने वाला व्यक्ति मिला जिसकी शिनाख्त सबाउद्दीन के रूप में की गई है जिसने नारूद्दीन के पूछने पर बताया कि फहीम अंसारी मुम्बई जा चुका था। रामपुर से फहीम अंसारी के साथ उसके पास से बरामद कागजात भी मुम्बई के न्यायालय में तलब किये गये थे। जिनमें वो नक्शे भी हैं जिन्हें नारूद्दीन ने फहीम के होटल के कमरे में फहीम द्वारा सबाउद्दीन को देते हुए देखा था। सबाउद्दीन 10.2.2008 को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया लेकिन नक्शे उसके पास से नहीं बरामद हुए।

नक्शे बरामद हुए फहीम अंसारी के पास से रामपुर में, उसकी गिरफ्तारी दि0 10.2.2008 को, जिसे लेकर वह मुम्बई जाने को था लेकिन मुम्बई न जा सका और रामपुर में गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया।

मैंने तथ्य आपके सामने रख दिया, जनवरी, 2008 में जिसकी-तारीख गवाह का नहीं पता, फहीम अंसारी ने अपने हाथ का बनाया हुआ नक्शा सबाउद्दीन को दिया फिर भी वो नक्शे सबाउद्दीन के पास से बरामद न होकर फहीम अंसारी से बरामद होते हैं और फहीम अंसारी के बरेली जेल में निरूद्ध रहते हुए उनका इत्तेमाल मुम्बई में बताया जाता है। दोषी कौन? एक प्रश्न बुद्धिमत्ता!

1 comments:

At April 8, 2010 at 8:01 AM Randhir Singh Suman said...

nice

 

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